यीशु मसीह के जीवन की प्रमुख घ्ाटनाएँ
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इस पाठ्यक्रम के छह अध्याय यीशु मसीह के जन्म से लेकर पुनरूत्थान तक उनके जीवन और सेवकाई पर केंद्रित हैं। | |
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अध्याय 1: यीशु मसीह - परमेश्वर का महान वरदान | |
अनंत खुशी केवल इच्छा की जाने वाली वस्तु नही है। परमेश्वर आपसे इतना प्रेम करते हैं कि उन्होने अपने एकलौते पुत्र यीशु को आपका मित्र बनने के लिए भेज दिया। उसे ग्रहण करने वाले अनंत जीवन पाएँगे। तो यीशु मसीह आपके द्वारा पाया जा सकने वाला सर्वश्रेष्ठ उपहार है। | |
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अध्याय 2: यीशु मसीह - महान गुरू | |
यीशु मसीह गलील प्रांत के 15000 की जनसंख्या वाले एक श्ाहर, नासरत में पले बढ़े। यह यरूश्ालेम तथा सुर एवं सैदा के बंदरगाह के बीच के विशाल राष्ट्रीय राजमार्ग पर रूकने का एक स्थल था। यहाँ धोखाधडी और अपराध इतना था कि लोग पूछने लगे थे, ‘क्या नासरत से कोई भली वस्तु आ सकती है?' यीशु मसीह ने परमेश्वर के विरुद्ध पापः स्वार्थ, भृष्टाचार, क्रूरता और विद्रोह को देखा। उसने देखा कि स्त्री और पुरूष पाप के दास थे। | |
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अध्याय 3: यीशु - नबी और राजा | |
मूसा एक महान नबी और अगुवा था। उसने लोगों को दासता में से निकलने में अगुवाई दी और उन्हे परमेश्वर के नियम दिए। परमेश्वर ने मूसा को दिखाया कि मसीहा भी एक नबी होगा जो परमेश्वर का संदेश उसके लोगों को देगा। वह लोगों को पाप की दासता में से छुड़ाएगा। वह उनके जीवन का राजा होगा और वह उन्हे जीने के नए नियम देगा। | |
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अध्याय 4: यीशु द्वारा क्ष्ामा की शिक्षा | |
संपत्ति को छोड़कर जाने के दो तरीके थेः एक, वसीयतनामे के द्वारा, या यदि मालिक जीवित है तो वंशजों को उपहार देकर। छोटा बेटा अपनी मर्जी के अनुसार जीवन जीने के लिए घ्ार से चला जाना चाहता था। वह अपने दोस्त ख़ुद ढ़ूँढ़ना चाहता था। वह नही चाहता था कि उसके पिता या भाई उसे कुछ करने को कहे। अतः पिता ने संपत्ति में से उसका हिस्सा उसे दे दिया और वह घ्ार से चला गया। | |
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अध्याय 5: यीशु हमारे बदले में मरा | |
मुख्य ध्ार्मिक नेता यीशु से घृणा करते थे क्योंकि यीशु उनके पाप के विरूद्ध प्रचार करते थे। वे ईर्ष्या से भरे थे क्योंकि भीड़ उसके पीछे चलती थी। उन्होने यीशु को गिरफ्रतार करने, उस पर देशद्रोह का आरोप लगाने और मार डालने की सोची। तौभी वे डरते थे कि यदि उन्होने यीशु को सार्वजनिक रूप से पकड़ा तो भीड़ उसे बचाएगी। इसलिए उन्होने उसके एक चेले यहूदा इस्करियोती को रिश्वत दी कि वह उन्हे रात के समय यीशु के पास ले जाए। | |
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अध्याय 6: यीशु - जीवित प्रभु | |
यीशु मसीह पर विश्वास करने वाले ध्ार्मिक नेताओं, निकुदिमुस और अरिमत्तियाह के युसूफ ने पिलातुस से यीशु को दपफनाने की अनुमति ली। वे जानते थे कि वह मर चुके हैं क्योंकि यही निश्चित करने के लिए एक सिपाही ने उनके पंजर में भाला छेदकर देखा था। उन्होने देह को कब्र के कपड़ों में लपेटा, उसे नई कब्र में रखा और द्वार पर एक बड़ा पत्थर रख दिया। निकुदिमुस ने यीशु के श्ाब्दों को याद कियाः वह क्रूस पर ‘ऊपर उठाया' जाएगा। | |
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छात्र रिपोर्ट और उत्तर प्रष्ट | |
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